बीबी की मस्ज़िद-पहली जामा मस्ज़िद
फारुकी शासन काल में बादशाह आज़म हुमायूँ (आदिल शाह फारुकी) की ‘बेगम रुकैया’ ने नगर की पहली जामा मस्ज़िद का निर्माण कराया, जिसे बीबी की मस्ज़िद के नाम से भी जाना जाता है। उस समय नगर की आबादी का अधिकांश हिस्सा उत्तर दिशा में रहता था इसलिए मोहल्ला इतवारा में यह मस्ज़िद बनवाई गई। इसे बनाने के लिए गुजरात के कारीगरों को लाया गया था। गुजरात की स्थापत्य कला इसकी पहचान है। कहा जाता है कि बीबी की मस्ज़िद अहमदाबाद की जामा मस्ज़िद का ही एक नमूना है।इसके निर्माण के लिए पत्थर असीरगढ़ की खदानों से लाये गये थे। अपने समय की भव्य इमारतों में शामिल यह मस्ज़िद मुगल शासक औरंगज़ेब के काल में अरबी और फारसी भाषा की शिक्षा का बड़ा केंद्र (मदरसा) रही। उस समय इस भाषा के विद्वान यहाँ अध्यापन करते थे। यह भारतीय और इस्लामी शिल्प कला का एक नायाब उदाहरण है।
कैसे पहुंचें:
हवाई मार्ग द्वारा
निकटतम हवाई अड्डा इंदोर स्थित है
ट्रेन द्वारा
यह मुंबई-दिल्ली और मुंबई-इलाहाबाद, केंद्रीय रेल मार्ग पर पड़ता है। इस गंतव्य के लिए कई सुपर-फास्ट, एक्सप्रेस ट्रेनें हैं। बुरहानपुर का मुंबई, दिल्ली, आगरा, वाराणसी, ग्वालियर, कटनी, जबलपुर, पिपरिया, झाँसी, भोपाल जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों और शहरों से सीधी रेल संपर्क है।
सड़क के द्वारा
महाराष्ट्र राज्य की सीमा के करीब होने के कारण, भुसावल, जलगाँव, औरंगाबाद आदि के लिए बहुत अच्छी सड़क है। बुरहानपुर से भोपाल के मध्य दूरी व्हाया इंदौर ३६७ किमी है एवं व्हाया मुंदी ३२६ किमी है |