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कुंडी भंडारा-पत्थरों से निचोड़ लिया पानी

श्रेणी एडवेंचर, ऐतिहासिक

मध्यकालीन भारत की इंजिनियरिंग कितनी समृद्ध रही होगी यह बुरहानपुर के कुंडी भंडारे को देखने से ही पता चलता है। 400 साल पुराने इस जल यांत्रिकी का जोड़ आज तक आधुनिक युग के पास भी नहीं है। उस समय कैसे पहाड़ के पत्थरों को चीरकर नगर की जल आवश्यकताओं को पूरा किया गया होगा, जब न तो आज की तरह मशीनें थीं और न ही भू-गर्भ में बहते पानी के स्त्रोतों का पता लगाने वाले यंत्र। हमें कुंडी भंडारे के रूप में मानव मस्तिष्क के बखूबी उपयोग के साथ उम्दा इंजिनियरिंग का उदाहरण भी देखने को मिलता है।नगर से छह किलोमीटर दूर सतपुड़ा की तलहटी में जब इस जल स्त्रोत को अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना ने देखा तो उनके मन में विचार आया कि क्यों न इस पानी को नगर तक ले जाया जाये। विचार आते ही अब्दुर्रहीम इस पानी को नगर तक लाने के लिए जुट गये। उस समय ज़मीन के नीचे तीन किलोमीटर की घुमावदार नहर बनाकर पानी को जाली करंज पहुँचाया। 80 फीट नीचे बह रहे पानी को 105 कुंड़ियों के माध्यम से हर कुंडी में 8 से 14 इंच तक चढ़ाया और ज़मीन के ऊपर लाया गया, जहाँ से नगर तथा शाही महल तक पानी पहुंचाया गया। अब्दुर्रहीम ने जिस तकनीक का उपयोग किया उसे आज ‘कैपिलरी सिस्टम’ कहा जाता है। इस दौरान उन्होंने इस बात का भी पूरा ख्याल स्खा कि पानी की गुणवत्ता बनी रहे। इसके लिए उन्होंने नहर को सीधे न बनाते हुए घुमावदार बनाया। जहाँ पानी के लिए जो लवण ज़मीन के अन्दर मिलते गये उसके अनुसार नहर घूमती गई। इतना ही नहीं, पानी के शुद्धिकरण के लिए इन्हीं कुंडियों के द्वारा सूर्य की पराबैंगनी किरणों तथा हवा को पानी तक पहुँचाया। आज भी कुंडी भंडारे के पानी का पीएच वेल्यू 7.2 है जो संयंत्रों द्वारा शोधित पानी से कहीं ज़्यादा शुद्ध है।’ रहीम’ ने इस दुनिया को न सिर्फ अपने जनोपयोगी दोहे दिये, बल्कि एक ऐसी तकनीक भी दी जो आधुनिक समाज के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। कुंडी भंडारा आज भी बुरहानपुरवासियों के कंठ तर कर रहा है।

 

कैसे पहुंचें:

हवाई मार्ग द्वारा

निकटतम हवाई अड्डा इंदोर स्थित है |

ट्रेन द्वारा

यह मुंबई-दिल्ली और मुंबई-इलाहाबाद, केंद्रीय रेल मार्ग पर पड़ता है। इस गंतव्य के लिए कई सुपर-फास्ट, एक्सप्रेस ट्रेनें हैं। बुरहानपुर का मुंबई, दिल्ली, आगरा, वाराणसी, ग्वालियर, कटनी, जबलपुर, पिपरिया, झाँसी, भोपाल जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों और शहरों से सीधी रेल संपर्क है।

सड़क के द्वारा

महाराष्ट्र राज्य की सीमा के करीब होने के कारण, भुसावल, जलगाँव, औरंगाबाद आदि के लिए बहुत अच्छी सड़क है। बुरहानपुर से भोपाल के मध्य दूरी व्हाया इंदौर ३६७ किमी है एवं व्हाया मुंदी ३२६ किमी है |