शाह नवाज़ खाँ का मकबरा-काला ताजमहल
मुगल शासन काल में बनी इमारतों में शाह नवाज़ खाँ का मकबरा अलग ही स्थान रखता है। अब्दुर्रहीम खान-ए-ख़ाना के ज्येष्ठ पुत्र, इरज़ ने अपनी वीरता और सैन्य नेतृत्व के दम पर बादशाह जहाँगीर को दक्षिण के युद्ध में विजय दिलाई। इससे खुश होकर जहाँगीर ने उसे न सिर्फ शाह नवाज़ की उपाधि से नवाज़ा बल्कि पाँच हज़ारी मनसबदारों का गौरवशाली पद भी प्रदान किया। 44 साल की उम्र में शाह नवाज़ खाँ की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु से जितना दुःख उसके पिता को हुआ उससे कहीं ज़्यादा दुःख जहाँगीर को हुआ था। उसकी याद में काले पत्थरों से निर्मित एक मकबरे का निर्माण कराया गया जिसका भीतरी भाग ईंट व चूने से बना हुआ है। इस मकबरे को लोग काला ताजमहल भी कहते हैं। कहा जाता है कि जिस तरह इस मकबरे में शाह नवाज़ खाँ की असली कब्र भी नीचे तहखाने में है उसी तरह ताजमहल में मुमताज़ की कब्र नीचे तहखाने में बनी हुई है। इस मकबरे के गुम्बद में चार छोटी-छोटी मीनारों की भांति ही ताजमहल की मीनारें बनायी गयीं हैं। इतना ही नहीं जिस तरह सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की किरण शाह नवाज़ खाँ के मकबरे पर भी पड़ती हैं, ठीक उसी तरह ताजमहल में मुमताज़ के मकबरे पर भी आती हैं। इस मकबरे में जो चित्रकारी और कारीगरी की गई है वह आश्चर्यचकित करने वाली है। सोचने वाली बात यह है कि अनेक वर्ष बीत जाने के बाद भी चित्रकारी में प्रयुक्त रंग फीका नहीं पड़ा है।
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How to Reach:
By Air
निकटतम हवाई अड्डा इंदोर स्थित है |
By Train
यह मुंबई-दिल्ली और मुंबई-इलाहाबाद, केंद्रीय रेल मार्ग पर पड़ता है। इस गंतव्य के लिए कई सुपर-फास्ट, एक्सप्रेस ट्रेनें हैं। बुरहानपुर का मुंबई, दिल्ली, आगरा, वाराणसी, ग्वालियर, कटनी, जबलपुर, पिपरिया, झाँसी, भोपाल जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों और शहरों से सीधी रेल संपर्क है।
By Road
महाराष्ट्र राज्य की सीमा के करीब होने के कारण, भुसावल, जलगाँव, औरंगाबाद आदि के लिए बहुत अच्छी सड़क है। बुरहानपुर से भोपाल के मध्य दूरी व्हाया इंदौर ३६७ किमी है एवं व्हाया मुंदी ३२६ किमी है |