दराबा बुरहानपुर की परंपरागत प्राचीन एवं प्रसिद्ध मिठाई है यह एक प्रकार का हलवा ही है, इसे दो प्रकार से बनाया जाता है एक में रवा (सूजी) घी और शक्कर का उपयोग होता है एवं दूसरे में सूजी के स्थान पर सिंघाड़े के आटे का उपयोग किया जाता है। इस मिठाई का बुरहानपुर में आध्यात्मिक महत्व भी है इसे श्री बालाजी के प्रसाद के रूप में भी जाना जाता है। मां ताप्ती के पश्चिमी तट पर प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले श्री बालाजी के विशाल मेले में इस मिठाई को प्रसाद स्वरूप श्रद्धालुओं में बांटा जाता है इस मेले को दराबा मेला भी कहा जाता है।